क्षेत्रीय फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने वाले रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर हों फोकस – डॉ बलराज सिंह

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बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय की अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक सोमवार को आयोजित हुई। विश्वविद्यालय के मानव विकास सभागार में आयोजित बैठक में अनुसंधान कार्यक्रमों के विभिन्न पक्षों पर वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों द्वारा विस्तार से चर्चा की गई। एसकेएन कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलगुरु डॉ बलराज सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्य अतिथि के रूप में बैठक में शामिल हुए। डॉ बलराज सिंह ने कहा कि मोठ और ग्वार बीकानेर क्षेत्र की फसल हैं, इन पर अनुसंधान की आवश्यकता है। श्रीगंगानगर तथा हनुमानगढ़ में देसी कपास को बढ़ावा दें । मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने, खेजड़ी में बाल फॉर्मेशन की समस्या से निजात के लिए उचित रसायन आदि के संबंध में अनुसंधान हों , मधुमक्खी पालन के लिए समर सीजन फसलों का उगाया जाना आवश्यक है ताकि मधुमक्खी पालकों को अन्यत्र ना जाना पड़े।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलगुरु डॉ अरुण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय के रिसर्च प्रोजेक्ट्स से क्षेत्र के किसान लाभान्वित हुए हैं। पीजी विद्यार्थियों को और एक्स्पोज़र मिले इसके लिए उन्हें फार्मर इनोवेशन प्रोगाम तथा अन्य विश्वविद्यालयों के रिसर्च प्रोजेक्ट्स में शामिल करें। अनुसंधान परिणामों की समेकित रिपोर्ट तैयार की जाए। साथ ही क्षेत्रीय किसानों के हित में संरक्षित खेती व जल पर कार्य करने वाले अनुसंधान प्रारम्भ किए जाएं। जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ जे एस संधू ने कहा कि किसानों तक तकनीक हस्तांतरण में कृषि विश्वविद्यालय बैकबोन के रूप में काम करते हैं । सीमित मानव संसाधन बड़ी चुनौती है लेकिन कृषि अनुसंधान में कार्यरत अन्य संस्थाओं के साथ समन्वय करते हुए रिसर्च प्रोजेक्ट्स में स्थानीय किसानों की समस्याओं को सीधे तौर पर एड्रेस किया जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तिलहन और दलहन उत्पादन के लिए विशेष कार्यक्रम चला रही है, विश्वविद्यालय इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दें। प्रसार शिक्षा के माध्यम से एंटरप्रेन्योरशिप और आईएबीएम के जरिए एग्रो बिजनेस इंडस्ट्री से युवा किसान और विद्यार्थियों को जोड़ें।

बैठक में प्रगतिशील किसान कुलजीत सिंह ने कहा कि किनू और गाजर के लिए एक्सीलेंस सेंटर बनाया जाए, साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नये सर्टिफिकेशन लैब स्थापित किये जाएं । छतरगढ़ के किसान मघाराम प्रजापत ने भी अपने विचार साझा किये । कृषि विभाग के अधिकारी जयदीप दोगने ने कहा कि खेजड़ी के फूलों में बटन बनने की समस्या गंभीर है, अनार की गुणवत्ता को लेकर भी क्षेत्र का किसान चिंतित है इस पर अनुसंधान कार्यक्रम संचालित किये जाए। इससे पहले रिसर्च अनुसंधान निदेशक डॉ विजय प्रकाश ने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किये जा रहे विभिन्न अनुसंधान कार्यों और गत वर्ष की एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत की ।बैठक में डॉ सुजीत कुमार यादव, डॉ पीके यादव , डॉ दाताराम , डॉ एन के शर्मा, डॉ आर के वर्मा सहित विभिन्न विभागों के वैज्ञानिकों ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान प्रोजेक्ट्स से अवगत करवाया। खेती की पाठशाला के नाम से कृषि सलाह के क्षेत्र में काम कर रहे अमित तैलंग ने मूंगफली और कपास में आ रहे विभिन्न रोगों से निपटने के लिए किसानों को जानकारी उपलब्ध करवाने की बात कही। डॉ विकास ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉ सुशील ने किया।

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